गोरखपुर. (एपी सिंह): अयोध्या मसला हल होने और काशी का कायाकल्प होने के बाद लोगों में सनातन धर्म के प्रति और आस्था बढ़ गयी है. यही वजह है कि पिछले 98 सालों में सबसे अधिक पिछले 5 महीनें में रिकॉर्ड तोड़ हिंदू धार्मिक किताबें बिकी हैं. जिसमें सबसे अधिक लोगों ने भगवान श्रीराम से जुड़ी रामचरित मानस और भागवत गीता खरीदा है. और अभी भी गोरखपुर के गीता प्रेस में इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. बदल गया है माहौल
दरअसल पहले जब जुबां पर अयोध्या का नाम आता था तो सबसे पहले लोगों के जेहन में झगड़े फसाद की तस्वीरें आती थीं. लेकिन पिछले कुछ समय में माहौल बदला है. श्रीराम जन्मभूमि का मसला हल होने के बाद और काशी का काया कल्प की तस्वीरें सामने आने लगी है. इस बदले माहौल के कारण सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था भी बढ़ती दिखाई दे रही है. लोग हिन्दु धर्म के बारे में और अधिक जानना चाह रहे हैं. शायद यही कारण है कि पिछले कुछ समय से हिन्दु धर्म से जुड़ी किताबों की बिक्री में तेजी आई है. अयोध्या में भगवान श्रीराम और काशी में शंकर भगवान के दर्शन के साथ धार्मिक किताबों की बिक्री भी बढ़ गई है. आलम यह है कि पिछले 98 सालों में प्रति वर्ष जितनी धार्मिक किताबों की बिक्री नहीं हुई, उससे ज्यादा धार्मिक किताबों की बिक्री पिछले पांच महीनों में हुई है. इसमें सबसे अधिक श्री रामचरितमानस और भागवत गीता बिकी है.
पांच माह से ज्यादा
गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल के अनुसार गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना ट्रस्ट के माध्यम से 1923 की गई थी. तब से यहां कई भाषाओं में सिर्फ धार्मिक किताबें छपती हैं. लेकिन इतनी धार्मिक किताबों की बिक्री प्रति वर्ष कभी नहीं हुई जितनी अभी पिछले पांच महीने में हुई है.यूं रहा किताबों की बिक्री का आंकड़ा
जून महीने में 4 करोड़ 93 लाख की किताबें.
जुलाई महीने में 6 करोड़ 64 लाख की किताबें.
अगस्त महीने में 6 करोड़ 31 लाख की किताबें.
सितंबर महीने में 7 करोड़ 60 लाख की किताबें.
ऑक्टोबर महीने में 8 करोड़ 68 लाख की किताबें.
नवंबर महीने में 7 करोड़ 15 लाख से ज्यादा की किताबें बिकी.
गीता प्रेस के ट्रस्टी भी मानते हैं जो धार्मिक झगड़े पहले से चले आ रहे थे. उसके हल होने के बाद अब भव्य निर्माण कार्य हो रहा है. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि इसके पीछे की कहानी क्या है? दरअसल लोगों की सरकार और अपने सनातन धर्म के प्रति आस्था भी बढ़ती जा रही है और यही वजह है कि धार्मिक किताबो की मांग बढ़ी है.
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